Monday, February 21, 2011

जब तक न मानिए उसे दिल मानता नहीं

एक दिल और ख्वास्तगार हज़ार 
क्या करूं यक अनार सद बीमार 
Meer Mahdi Majrooh
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सब कुछ खुदा से मांग लिया तुझ को मांग कर 
उठते नहीं हैं हाथ मेरे इस दुआ के बाद
Agha Hashr Kashmiri
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यह भी तो इक दलील है उसके वोजूद की
जब तक न मानिए उसे दिल मानता नहीं
Shafeeq Jaunpuri
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वहशी हूँ मुझे दूर के जलवे नहीं भाते
मैं छू सकूं जिसको वह ओफ़ोक चाहिए मुझको 
M A Tashna