था नाज़ बहुत हम को दानिस्त पर अपनी भी
आखिर वह बुरा निकला हम जिस को भला जाना
Mir
नहीं जाती मताए लालो गौहर की गिरां याबी
मताए गैरतो ईमाँ की अर्जानी नहीं जाती
Faiz Ahmad Faiz
उम्र हमारी सहराओं में रेत हुई
घर वालों ने ताज महल तामीर किया
Yaqub Tasawwur
ऐ ज़ौक किस को चश्मे हिकारत से देखिए
सब हम से हैं जियादा, कोई हम से कम नहीं
Shaikh Ibrahim Zauq