Saturday, July 23, 2011

बुरे वक़्त में एक तू रह गई है

अरी बेकसी तेरे कुरबान जाऊं
बुरे वक़्त में एक तू रह गई है
Sharafuddin Ilhaam
ग़म है आवारह अकेले  में  भटक  जाता  है
जिस जगह रहिए वहां मिलते मिलाते रहिए
Nida Faazli

Monday, July 11, 2011

सब हम से हैं जियादा, कोई हम से कम नहीं

था  नाज़  बहुत हम  को  दानिस्त पर अपनी भी
आखिर वह बुरा निकला हम जिस को भला जाना
Mir
नहीं जाती मताए लालो गौहर की गिरां याबी
मताए  गैरतो  ईमाँ  की अर्जानी  नहीं  जाती
Faiz Ahmad Faiz
उम्र  हमारी  सहराओं  में रेत  हुई
घर वालों ने ताज महल तामीर किया
Yaqub Tasawwur
ऐ ज़ौक  किस  को  चश्मे हिकारत से देखिए
सब हम से हैं जियादा, कोई हम से कम नहीं
Shaikh Ibrahim Zauq