Friday, February 18, 2011

रोज़ का आना जाना

गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है अमीर 
क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना
Amir Minaai 
________________________________

देर लगी आने में तुमको शुक्र है फिर भी आए तो
आस ने दिल का साथ न छोड़ा वैसे हम घबराए तो
Andalib Shadaani