जब तक है रूह जिस्म में चलते हैं हाथ पाँव
दूल्हा के दम के साथ यह सारी बरात है
Khursheed Akbarabadi
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वकारे ख़ूने शहीदाने कर्बला की क़सम
यज़ीद मोर्चा जीता है जंग हारा है
Diwakar Raahi
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जो आग लगाई थी तुम ने उस को तो बुझाया अश्कों ने
जो अश्कों ने भड़काई है उस आग को ठंडा कौन करे
Moin Ahsan Jazbi
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