अहले महशर देख लूं क़ातिल को तो पहचान लूं
भोली भाली शक्ल थी और कुछ भला सा नाम था
Saael Dehlavi
चलकर कभी हमारे अँधेरे भी देखिए
हम लोग रौशनी में बड़े बा वक़ार है
Tasleem Farooqi
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी
यूँ कोई बेवफा नहीं होता
Bahsir Badr
यह कहाँ की दोस्ती है के बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारा साज़ होता कोई ग़मगुसार होता
Mirza Ghaalib