Sunday, March 20, 2011

मज़्हबे इश्क़ इख्तेआर किया

पतंगे जल गए हारिज कोई रहा नहीं अब
कहो चराग़ से ता सुब्ह बा फ़राग जले 
Shah Torab Kaakorwi
उस के इफाए अहेद तक न जिए 
उम्र   ने   हम  से  बेवफाई   की 

सख्त काफिर था जिस ने पहले मीर
मज़्हबे    इश्क़   इख्तेआर   किया 
Mir Taqi Mir