Tuesday, August 9, 2011

बच्चे मेरे अहेद के चालाक बहुत हैं

मैं  न  जुगनू  हूँ ,दिया  हूँ न कोई  तारा  हूँ
रौशनी  वाले  मेरे नाम से जलते  क्यूँ  हैं
Raahat Indori

आइने  के  सौ  टुकडे  करके  हमने  देखे  हैं
एक  में  भी  तनहा  थे  सौ में भी अकेले  हैं

कुछ  इस  तरह  से  किया  उसने  मेरे  ज़ख्मों   का  इलाज 
मरहम   भी  लगाया   तो   कांटे   की   नोके   से 

दिन  में जुग्नुवों  को  परखने  की जिद  करें 
बच्चे  मेरे अहेद  के चालाक  बहुत  हैं

तश्नगी   मेरी   बुझादे   तो  मैं  जानू   वरना
तू  समंदर  है  तो  होगा  मेरे किस  काम  का है
 
Unknown