Urdu Kavita
Thursday, March 24, 2011
यह मुंबई किसी सहरा में इक चट्टान सा है
महक न फूलों की इस में न पंछियों की चमक
यह मुंबई किसी सहरा में इक चट्टान सा है
लगाकर कान कब्रस्तान में सुन
के है ज़ेरे ज़मीं कोहराम क्या क्या
यह औरत और पानी एक से औसफ के हामिल
बना लेते हैं दोनों रफ्ता रफ्ता रास्ता अपना
Irtiza Nishaat
1 comment:
teslaez
said...
p7y33k1n74
c5r74v3g52
p8b32n4j78
d2p16q7b14
m0y34v5y15
s8q62t4k70
October 1, 2022 at 1:33 AM
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
p7y33k1n74 c5r74v3g52 p8b32n4j78 d2p16q7b14 m0y34v5y15 s8q62t4k70
Post a Comment