यूँ ही मौसम की अदा देख के याद आया है
किस क़दर जल्द बदल जाते हैं इन्सां जानां
Ahmad Faraaz
कुछ और माँगना मेरे मशरब में कुफ्र है
ला अपना हाथ दे मेरे दस्ते सवाल में
Siraj Lucknowi
कोई फूलों से सीखे सर्फराज़े ज़िन्दगी होना
वहीँ से फिर महकते हैं जहां से ख़ाक होते हैं
Shifa Gwaliori
कितनी दीवारें उठी हैं एक घर के दरमियाँ
रास्ते गुम हो गए दीवारो दर के दरमियाँ
Makhmoor Saeedi
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