आइना ये तो बताता है के मैं क्या हूँ लेकिन
आइना इस पे है खामोश के क्या है मुझ में
Kishan Bihari Noor
हंस हंस के जवाँ दिल के हम क्यूँ न चुनें टुकड़े
हर शख्स की क़िस्मत में इनआम नहीं होता
बहते हुए आंसू ने आखों से कहा थम कर
जो मए से पिघल जाए वो जाम नहीं होता
Meena Kumari 'Naaz'
आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंज़र क्यूँ है
ज़ख्म हर सर पे हर हाथ में पत्थर क्यूँ है
अपना अंजाम तो मालूम है सब को फिर भी
अपनी नज़रों में हर इंसान सिकंदर क्यूँ है
ज़िन्दगी जीने के काबिल ही नहीं अब फाखिर
वरना हर आँख में अश्कों का समंदर क्यूँ है
Sudarshan Faakhir
1 comment:
geenliii02
golden goose outlet
golden goose outlet
golden goose outlet
golden goose outlet
golden goose outlet
supreme outlet
golden goose outlet
golden goose outlet
golden goose outlet
golden goose outlet
Post a Comment