Sunday, June 5, 2011

मैं ने औरों से सुना है के परेशान हूँ मैं

क्यूँ मशअले दिल फैज़ छुपाओ तहे दामाँ
बुझ जाएगी यूँ  भी   के हवा तेज़ बहुत है
Faiz Ahmad Faiz
अपनी हालत का खुद एहसास नहीं है मुझको
 मैं  ने  औरों  से सुना  है   के  परेशान   हूँ  मैं
Aasi Lucknowi
हयात  जिस  की  थी  उसको  लौटा दी
मैं आज चैन से सोता हूँ पाओं  फैला कर
Hafeez Meruthee
दोस्त बन जाएगा वोह दुश्मन भी
हम  जो  बढ़कर  उसे सलाम करें
जब भी हम रेगज़ार से गुजरें
ख़ुश्क फूलों का एहतेराम करें
Maraaq Mirza
आश्याने की मेरे हकीकत न पूछ
चार तिनके थे ,ज़ेरो ज़बर हो गए
Jameel Murassapuri   

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