हम गुज़िश्ता सोहबतों को याद करते जाएंगे
आने वाले दौर भी यूहीं गुज़रते जाएँगे
Aziz Lucknowi
ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना, हामी भर लेना
बहुत हैं फाएदे इस में , मगर अच्छा नहीं लगता
Jaaved Akhtar
किस तरह जमआ कीजिए अब अपने आप को
कागज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के
Aadil Mansuri
शेख जी खुद को करामात बनाए रख्खें
आलिम हूँ मैं भी इक बज़्म सजाए रख्खें
रात भर वाज़ का मस्जिद में बजा कर केसिट
खुद तो सो जाएँ मोहल्ले को जगाए रख्खें
Sadiq Naseem
इस तरह ख्वाब मेरे हो गए रेज़ा रेज़ा
इस तरह से न कभी टूट के बिखरे कोई
अब तो इस राह से वोह शख्स गुज़रता भी नहीं
अब किस उम्मीद से दरवाज़े से झांके कोई
शेहरे वफ़ा में धूप का साथी नहीं कोई
सूरज सरों पे आया तो साए भी घट गए
Parveen Shaakir
2 comments:
आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा , हिंदी ब्लॉग लेखन को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा आपका प्रयास सार्थक है. निश्चित रूप से आप हिंदी लेखन को नया आयाम देंगे.
हिंदी ब्लॉग लेखको को संगठित करने व हिंदी को बढ़ावा देने के लिए "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" की स्थापना की गयी है, आप हमारे ब्लॉग पर भी आयें. यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . हम आपकी प्रतीक्षा करेंगे ....
भारतीय ब्लॉग लेखक मंच
डंके की चोट पर
click here for info Louis Vuitton replica Bags check this link right here now louis vuitton replica hop over to this website good quality replica bags
Post a Comment