ऐ दोस्त हम ने तरके मोहब्बत के बावोजूद
महसूस की है तेरी मोहब्बत कभी कभी
Hayaat Amrohi
मिला है जब से लुत्फे ख़ाकसारी
तनज्जुल में तरक्की कर रहा हूँ
Amjad Hyderabadi
बे तीशाए नज़र न चलो राहे रफ्तागां
हर नक्शे पा बुलंद है दीवार की तरह
Majrooh Sultanpuri
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं
रुख हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं
Nida Fazli
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