फिर ख़यालों में कोई आ गया सोते सोते
आज की रात भी कट जाएगी रोते रोते
हम को आया नहीं चेहरे की सफाई का ख़याल
बस परेशान रहे आईना धोते धोते
अब किसी पेड़ पे लगते नहीं अखलाक़ के फल
ज़िन्दगी थक गई इस बीज को बोते बोते
इशक़ तो रिस्ता हुआ ज़ख्म है दिल के हक़ में
दाग़ होता तो निकल जाता वह धोते धोते
एक माँ हो गई बेहोश यह कह कर मोहसिन
भूके ही सो गए बच्चे मेरे रोते रोते
Mohsin Ummeedi Burhanpuri
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