बेखुदी बेसबब नहीं ग़ालिब
कुछ तो है जिसकी पर्दा दारी है
Mirza Ghalib
सहराए गुफ्तगू से न आगे बढे क़दम
गम उसकी वुसअतों में हर इक कारवाँ हुआ
Jigar Muradabadi
ताने अग्यार सुनें आप खमोशी से शकीब
खुद पलट जाती टकरा के सदा पत्थर से
Shakeeb Jalali
शरीके मारकए हक सभी नहीं होते
मेरे भी साथ थीं अहबाब की सफें कितनी
Bashar Nawaz
1 comment:
मारकए हक iskaa arth kyaa hotaa hai please bataayenge
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