मैं वो चराग़े सरे राह्गुज़ारे दुनिया हूँ
जो अपनी ज़ात की तन्हाईयों में जल जाए
Obaidullah Aleem
अज़ा में बहते थे आंसू यहाँ , लहू तो नहीं
ये कोई और जगह है ये लखनऊ तो नहीं
यहाँ तो चलती हैं छुरियाँ जुबान से पहले
ये मीर अनीस की, आतिश की गुफ्तगू तो नहीं
चमक रहा है जो दामन पे दोनों फिरकों के
बगौर देखो ये इस्लाम का लहू तो नही
यहाँ तो चलती हैं छुरियाँ जुबान से पहले
ये मीर अनीस की, आतिश की गुफ्तगू तो नहीं
चमक रहा है जो दामन पे दोनों फिरकों के
बगौर देखो ये इस्लाम का लहू तो नही
Kaifi Aazmi
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यहाँ तो चलती हैं छुरियाँ जुबान से पहले
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